शनिवार, 18 अगस्त 2012

netaji ki vyatha.........


राह में चलते,
दूर एक चाँद सा नजर आया,
चश्मे पे पढ़ी धुल हटा कर देखा तोह,
चाँद जाना पहचाना नजर आया,


वोह तोह थे अपने नेता जी,
जिनके पोस्टर आजकल गलियों में लगे हैं,
ऊपर उनकी 70 मम की मुस्कान हे,
तोह निचे लिखा गुमशुदा की तलाश हे,
गोया उनको देख हमभी मुस्करा दिए,
के चलो अगले चुनावों से पहले ही नेताजी नजर आलीये ,


पर आज नेता जी का अलग हाल था,
पहले जहाँ बालों की खेती थी,
वहां आज मैदान साफ़ था,
चहरे की मुस्कान गायब,
तोह सेब जैसे चहरे का पापड़ सा हाल था,


हमने पूछा नेताजी क्या हाल हे,
कैसे पिच्क्गये आपके गोल गोल गाल हैं,
बस इतना सुनना था के उनके सब्र का बाँध टूट गया,
आंख में मगरमच्छ के दो आसूँ निकल आये,
कहने लगे बस ना पूछो क्या हाल हे,
बड़ा बुरा हाल हे बड़ी मुसीबतों से भरा यह साल हे
हमने कहा क्या हुआ जरा डिटेल में तोह फरमाइए,
तोह कहने लगे के चलिए पहले चाय नाश्ता करवाइए,
हमने कहा घर पर श्रीमतीजी का गुस्से से बुरा हाल,
चाय नाश्ता छोड़ो अगर बेलन खाने हैं तो चलिए,
में भाग आया हूँ आप खाना चाहें,
तोह चले आपकी अपनी खाल हे,


इस्पे नेताजी घबराये ,
बोले अब ओर मार नहीं खा सकते,
सर पे दो बाल हे इनको नहीं गवां सकते,
हमने कहा फिर यहीं बताइए,
जीत के बाद भी यह उदासी कैसी जरा समझाइये,


नेताजी बोले काहें की जीत ,
यह जीत तोह एक धोखा हे,
जीत के भी विपक्ष में बैठे हैं,
इस्सी बात का तोह रोना हे,
CBI FBI RBI DBI नाजाने किस किस से जाँच कराते हैं,
जोह कभी किये नहीं वोह घोटाले हमारे नाम पे बनाते हैं,


तभी नेताजी का फ़ोन बज पड़ा,
और देखते ही देखते उनका उदास चेहरा,
फूलगोभी सा  खिल गया,
हमने पूछा की क्या बात हे,
अभी मनोज कुमार थे,
अचानक अक्षय कुमार कैसे बन गए,
इस्पे कहने लगे अरे भाई सत्ता पार्टी का फ़ोन हे,
उनको सरकार बचाने को हमारे सहयोग की दरकार हे,
और आप तोह जानते हो हमें अपने देश से कितना प्यार हे ,
अब हम भी मंत्री बनके सरकार से जुड़ जायेंगे ,
देश की जनता को दुबारा चुनाव के खर्च से बचाएँगे ,
बहुत सह लिया अपमान इनका,
अब मंत्री बनके सीबीआई वालों से अपने घर के कपडे धुलवाएंगे,


हम बोले नेताजी कैसी बातें करतें हैं,
भाषण में तोह आप उनको देश का भक्षक
लुटेरा कहा करते हैं,
अब कैसे इन भक्षकों का साथ निभाएँगे,
क्या आप भी इनके साथ लुटेरे बन जायेंगे,


नेताजी बोले अब लुटेरे नहीं अब वोह हमारे साथी हैं,
राष्ट्रहित के रक्षक बड़े आदर्शवादी हैं,
पहले मुझे उनकी नीयत समझ ना आयी थी,
पर देखिये अब उन्होंने हमें मंत्रिपद देकर
बड़ी राष्ट्रयिता दिखाई हे,
अब हम भी पूरी एकता दिखाएँगे,
जोह कल तक अकेले खाते थे
अब मिलबांट के खाएँगे,
इतना कहकर मंत्री जी खुश होके चल दिए,
में अपने देश की तरह लुटा सा खड़ा रहा,
और वोह तरक्की की राह पे बढ़ लिए.....................................