रविवार, 29 अप्रैल 2018

ऐ हिन्द के मतवालों


ऐ हिन्द के मतवालों अब जाग उठों भारत वालों,
अब समय ने करवट बदली हे,उस पार खडी चुनोती हे,
अबकी बार दुश्मन न बाबर न गोरी हे,
यह रण हे घर के गद्दारों से, छुप कर ताक रहे सियार्रों से,

अब जीना हे तोह जगना होगा, हर एक को अब लड़ना होगा,
जो बाँट रहे गंगा की धारा को उनको काट गिराना हे,
जो हाथ चिर तक पहुँचे उनकी मालाएँ पिरोनी हे,
जो आंख रंग को बाँट रही अर्जुन बन उसपर घात करो,
परशुराम बन खडग उठा इन जयचंदों को संहार करो,
खप्पर पि पि लहू फिरे वोह काली घर घर से अब आनी हे,
भारत के टुकड़े कहने वालों की जिव्हा को काट गिराना हे,

अब हिन्द ना फिर दहने पाए ,ऐसी हुनकआर दिखाओ तुम,
यह अखण्ड भारत हमारा हे ऐसा स्वर दिखलाओं तुम,
जो हिन्द के टुकड़े करने को नीत नयी चालें चलते हैं,
उन जय गोपालों को मार गिराओ तुम,
ऐ हिन्द के मतवालों अब ऐसा अलख जगाओ तुम,