मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना,
इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना,
इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना,
कभी भूल जाऊं किसी दर की सलामी,
तोह मुझे काफ़िर बयां मत करना,
गुजरते काफिलों में गली की मजलिसों में मिलूं हिन्द के नारे लागाता,
तोह रंग से जोड़ मुझे खुद से जुदा न करना,
मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस इतना ही कर्म करना,
तोह मुझे काफ़िर बयां मत करना,
गुजरते काफिलों में गली की मजलिसों में मिलूं हिन्द के नारे लागाता,
तोह रंग से जोड़ मुझे खुद से जुदा न करना,
मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस इतना ही कर्म करना,
कभी मर जाऊं अगर धमाकों मैं,
हो जाये शिनाख्त दुश्वार मेरी,
ना जलाना मुझे ना दफनाना ही ,
सड जाने देना लाश मेरी,
बस इतना रहम कर देना बच न पाये हिन्द का दुश्मन कोई,
हो जाये शिनाख्त दुश्वार मेरी,
ना जलाना मुझे ना दफनाना ही ,
सड जाने देना लाश मेरी,
बस इतना रहम कर देना बच न पाये हिन्द का दुश्मन कोई,
चाहे कोई पंथ हो कोई मजहब,
हम सब हिन्द के फूल हें,
सब इसी धरा के लाल हें,
तुम रंग दिखा कर चमड़ी का एकदूजे से जुड़ा तुम मत करना,
मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना,
इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना,
हम सब हिन्द के फूल हें,
सब इसी धरा के लाल हें,
तुम रंग दिखा कर चमड़ी का एकदूजे से जुड़ा तुम मत करना,
मेरे जम्हूरियत के पहरेदारों बस मुझ पर इतना कर्म करना,
इन्सान पैदा हुआ हूँ इन्सान ही दो मुझे मरना,
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